Hasya Ras Ka Udaharan – हास्य रस के उदाहरण और  हास्य रस की परिभाषा!

आज इस पोस्ट के जरिये हम यह जानने वाले हैं हास्य रस क्या होता हैं Hasya Ras Ki Paribhasha और Hasya Ras Ka Udaharan के बारे में बताएंगे ! यह तो हम सभी जानते हैं की रस हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण अंग हैं !

सभी काव्य में भी इनका अधिक उपयोग होता हैं ! क्योंकि अगर रस का उपयोग नहीं होगा तो हिंदी व्याकरण में तो उनमे रोचकता और नवीनता नहीं होती !

अगर आपको Hasya Ras के बारे में या फिर Hasya Ras Ka Udaharan जानने है तो यह आर्टिकल आपके लिए बहुत ज्यादा उपयोगी होने वाला है आर्टिकल को पूरा पढ़े और साथ ही साथ दुसरो के साथ शेयर जरूर करे।

Hasya Ras Ki Paribhasha – हास्य रस की परिभाषा 

परिभाषा – “किसी की वेशभूषा , क्रियाकलाप, आकर्ति और चेष्टा को देखकर मन में जो हर्ष और विनोद का भाव जगता हैं उसे हास्य कहते हैं!  जब ये हास्य हमें विभाव, अनुभव और संचारी  भाव के माध्यम से हमें प्राप्त होता हैं ! उसे हास्य रस कहते हैं! “

सरल शब्दों में कहे तो किसी महत्वपूर्ण हाशयपूर्ण विशेष आकृति, क्रियाकलाप, बात चीत और वेशभूषा के कारण हमारे मन में जो हंसी का भाव उत्पन्न होता हैं उसे हास्य रस कहते हैं! 

हास्य रास का काव्य के नौ रसो में एक बहुत ही मह्त्वपूर्ण स्थान हैं ! वीर रस, वीभत्स रस, शृंगार रस , तथा रौद्र रस ही प्रमुख रस हैं तथा भयानक, वात्सल्य, शांत, करुण, भक्ति, हास्य रासो की उतपति इन्ही चार रसो से से है!

हास्य रस की उपस्थति ऐसे काव्य में होती है, जिस काव्य में काव्य की विषय वास्तु में हास्य पैदा करने वाले या मजेदार उद्दीपन व आलंबनों का समावेश होता है !

हास्य रस मन की मन के चरित्र को बताता हैं जिसमे व्यक्ति प्रशन्नचित्त और निश्चिंत होता हैं! संक्षेप में हम यह कह सकते हैं की काव्य के जिस भाग में किसी गुदगुदी देने वाले भाव को प्रकट किया जाता हैं उसे हास्य कहते हैं!

हास्य रास की उपस्थिति में मन के विचार, व्यक्ति वस्तु व घटना का स्वरुप विचित्रता लक्षित व्यक्ति को गुदगुदा जाती हैं।

नीचे कुछ पंक्ति दी गयी हैं जिन्हे पढ़ने के बाद हास्य का भाव जागृत हो रहा है इन्हे हास्य रस कहते हैं!

जैसे यार तू ढाढी बढ़ा ले, साल आया है नया 

नाइ के पैसे बचा ले, साल आया है  नया 

तेल कंघा पाउडर के खर्च कम हो जायेंगे 

आज ही सर को घुटा ले साल आया है नया 

मैं ऐसा महावीर हु, पापड़ को तोड़ सकता हु!

अगर आ जाये गुस्सा, तो कागज़ को भी मोड़ सकता हु!

Hasya Ras Ke Upkaran – हास्य रस के उपकरण 

  1. स्थाई भाव: हास (हास्य )
  1.  आलंबन विभाव: विकृत वेशभूषा, आकर, क्रियाय, चेस्ताय आदि
  1. उद्दीपन विभाव: अनोखा पहनावा और आकार, बातचीत और क्रिया कलाप
  1. अनुभाव: आशय की मुस्कान, आँखों का मिचमिचाना, ठहाकेदार हस, अट्हास आदि
  1. संचारी भाव: हंसी, उत्सुकता, चपलता, कम्पन, आलस्य

Hasya Ras Ka Udaharan – हास्य रस के उदाहरण 

हाथी जैसी देह, गेंडे जैसी खाल 

तरबूज सी खोपड़ी, खरबूजे से बाल!

सिरा पर गंगा हसे, भुजनि में भुजंगा हसे 

हास ही को दंगा भयो , वंगा के विवाह में!

लाला की लाली यो बोली,

सारा खाना यह चर जायेंगे 

ये जो बच्चे भूखे बैठे है,

क्या पंडित जी को खाएंगे!

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सब यानन ते श्रेष्ठ अति, दूरतगति ग्रामिनी कार 

धनिक जानिक के जिय बसी, निसदिन करीत विहार 

पों पों करती सुहावनी कैसे, मुनि मनख संख बजावन्हि जैसे 

मग बीच कीच उजिलाती कैसे, फागुन फाग रंजहि मन जैसे !

मातहिं पितहिं उरनि भय नीके 

गुरु ऋन रहा सोच मन जी के !

जोई जहा देखे सो हँसे है ताईं राह में !

मगन भये ईस हँसे नग्न महेश ठाढ़े 

और हांसे एउ हंसी हंसी के उमाह में ! 

बहुएं सेवा सास की, करती नहीं खराब।

 पैर दाबने की जगह, गला रही है दाब।

काहू न लखा सो चरित विशेखा ।

जो सरूप नृप कन्या देखा ।

पिल्ला लीन्ही गोद में मोटर भई सवार।

अली भली घूमन चली किये समाज सुधार।

कृष्ण में मोहन बसे, गाजर में गणेश |

मुरली करेला में बसे, रक्षा करे महेश

Example of Hasya Rash (Image)

(हास्य रस का उदाहरण – Example of hasya ras)

Hasya Ras Ke Udaharan Aarth Ke Sath  – हास्य रस के उदाहरण अर्थ के साथ 

अभी तक हमने हास्य रस की परिभाषा परिचय और उसके कुछ उदहारण को जाना है! अब आगे हम हास्य रस के उदाहरण के अर्थ जानेंगे !

शीश पर गंगा हँसे , भुजनि भुजंगा हँसे,

हास ही को दंगा भयो नंगा के विवाह में !

अर्थ: भगवान शिव के विवाह को उनके सिर पर बैठी गंगा मैया और भुजाओ में लिपटे हुए सर्प भी देखकर हँसते है!

कहा बंदरिया ने बंदर से चलो नहाने चले गंगा !

बच्चो को छोड़ेंगे घर पे होने दो हुड़दंगा !

अर्थ: ऊपर दिए गए उदाहरण का अर्थ हैं ! बंदर और बंदरिया अपने बच्चो को घर छोड़कर गंगा नहाने की बात करते हैं जिसे सुनकर हंसी आती हैं ! 

FAQs About Hasya Ras Ka Udaharan & Paribhasha

हास्य से आप क्या समझते हो ?

किसी की वेशभूषा , क्रियाकलाप, आकर्ति और चेष्टा को देखकर मन में जो हर्ष और विनोद का भाव जगता हैं उसे हास्य कहते हैं

हास्य रस के कुछ उदहारण (Hasya Ras Ka Udaharan) बताइये ?

हास्य रस के सबसे सरल उदहारण ऊपर दिए अब हैं जो आमतौर पर पूछे जाते हैं आप वह ऊपर चेक कर सकते हैं !

हास्य रस के संचारी भाव क्या है ?

हास्य रस का संचारी भाव अश्रु, हर्ष, चपलता, स्नेह, उत्सुकता, समृति, आवेग आदि है !

हास्य किसे कहते हैं ?

जब किसी की विचित्र वेशभूषा या बातचीत को देखकर या सुनकर हंसी आती है तो उसे हास्य कहते हैं !

हास्य रस का स्थायी भाव क्या हैं ?

हास्य रस का स्थायी भाव हास हैं !

मुझे उम्मीद है कि यह पोस्ट आपको पसंद आया होगा इस इस आर्टिकल में हमने हास्य रस की परिभाषा और काफी सरे Hasya Ras Ka Udaharan (हास्य रस का उदहारण) भी बताये है जिनकी मदद से आपको समझने में आसानी हुई होगी।  अगर आर्टिकल पसंद आया है तो दुसरो के साथ शेयर जरूर करे।

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